Thursday, October 15, 2015

लक्ष्मी स्तुति ३

भक्त: स्तौति प्रवरमनसा त्वां प्रपन्नो धनार्थं
नात्मन्यर्थे विहितवचनश्शङ्करस्त्वाञ्च वाचा ।
ब्राह्मण्यार्तिं प्रशमनपरा हैमवृष्टिं प्रसार्य
द्यावाभूमी कनकझरयाsयोजयद्रक्षणार्थम् ।।३।।
परम भक्त शङ्कर भगवत्पाद श्रेष्ठ मन से किसी निर्धन ब्राह्मणी के लिए अपनी वाणी से आप की स्तुति की । उस ब्राह्मणी के कष्ट को दूर करने के लिए ऐसी स्वर्ण बर्षा की जिस धारा से जमीन और आसमान जुड गया जैसे लगा ।।
Adi Shankar with his virtuous mind prayed You for the wealth to a poor Brahim lady. You also rained gold in her house by which you connected the earth and sky. 

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