Thursday, October 22, 2015

Lakshmi Stuti Concluding Verse

भक्त्या स्तोत्रं विरचितमिदं कीलके नाम्नि वर्षे
तौलीमासे सिततिथियुते मातरं ध्यायता ताम् ।
कौण्डिन्यांशे विहितजनुषा देवनाथेन लक्ष्मीं
स्वान्ते कृत्वा शुभनवतमोद्धर्षणे विष्णुपत्नीम् ।।१०।।

इस कीलक संवत्सर तुला मास शुक्लपक्ष में माता लक्ष्मी का ध्यान करते हुए कौण्डिन्य गोत्र में जन्म लिए देवनाथ नामक कवि नवरात्र उत्सव के उपलक्ष्य में विष्णु पत्नी लक्ष्मी का इस स्तोत्र की रचना की ।।

This Stotra is composed by Devanathan born in Kaundinya Gotra in this Keelaka year Tula month Shuklapaksha on the occasion of Navaratra Celebration having kept with devotion on his mind. 


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