॥ राम और कृष्ण नाम का महत्त्व ॥
राशब्दो विश्ववचनो मश्चापीश्वरवाचकः ।
विश्वानामीश्वरो यो हि तेन रामः प्रकीर्त्तितः ॥
रमते रमया सार्द्धं तेन रामं विदुर्ब्बुधाः ।
रमाणां रमणस्थानं रामं रामविदो विदुः ॥
रा चेति लक्ष्मीवचनो मश्चापीश्वरवाचकः ।
लक्ष्मीपतिं गतिं रामं प्रवदन्ति मनीषिणः ॥
नाम्नां सहस्रं दिव्यानां स्मरणे यत् फलं लभेत् ।
तत् फलं लभते नूनं रामोच्चारणमात्रतः ॥
(ब्रह्मवैवर्तपुराणे अध्यायः-११०, श्लोकसंख्या १८ से २१)
विश्वानामीश्वरो यो हि तेन रामः प्रकीर्त्तितः ॥
रमते रमया सार्द्धं तेन रामं विदुर्ब्बुधाः ।
रमाणां रमणस्थानं रामं रामविदो विदुः ॥
रा चेति लक्ष्मीवचनो मश्चापीश्वरवाचकः ।
लक्ष्मीपतिं गतिं रामं प्रवदन्ति मनीषिणः ॥
नाम्नां सहस्रं दिव्यानां स्मरणे यत् फलं लभेत् ।
तत् फलं लभते नूनं रामोच्चारणमात्रतः ॥
(ब्रह्मवैवर्तपुराणे अध्यायः-११०, श्लोकसंख्या १८ से २१)
राम इस पद मे दो पद निहित है । एक तु रा
और दूसरा म । यहां रा का अर्थ है विश्व,
म का अर्थ है ईश्वर । अतः राम का अर्थ है सभी विश्वों के
ईश्वर है ॥
राम शब्द की व्युत्पत्ति क्या है । यह इस
श्लोक में कही गयी है । राम की व्युत्पत्ति है रमया रमते अर्थात् रमा (सीता) के
साथ जो प्रीति रखते है वे ही राम है ॥
और एक व्युत्पत्ति राम शब्द के बतायी गयी
है । वह इस प्रकार है - रमाणां रमणस्थानं रामः इति । अर्थात् रमाओं भक्तों का
रमणस्थान प्रिति से आश्रय स्थान राम है ॥
राम मे दो शब्द निहित है जैसे रा और म ।
रा का अर्थ है लक्ष्मी, म
का अर्थ है ईश्वर । तथा च राम का अर्थ है लक्ष्मीपति । वह लक्ष्मीपति ही हम लोगों
के उद्धार की गति है इस लिए राम कहा गया है ॥
विष्णु के हजार नामों के स्मरण से जो फल मिलता है वह फल एक
राम नाम के उच्चारण से मिलता है ॥
There are
two words in the word “Rama”. One is “ra” and the other is “ma”. Here “ra”
means ‘universe’ and “ma” means “god”. Thus ‘rama” means the God of the entire
Universe.
What is the
definition of “rama” is told in this shloka. “rama” means “one who is happy
with Ramaa i.e. Sitaa.
Another
definition is given here. Devotees’ place of happiness is Rama. Here “ramaa”
means “devotees”.
Yet another
definition is given for the word “Rama”. Here “ra” means “Lakshmi” and “ma”
means “God”. Thus “Rama” means “God of Lakshmi” and who is the only shelter for
us.
Whatever Punya
you acquire by chanting the thousand names of Vishnu that you get by chanting
Rama Nama once.
कृषिरुत्कृष्टवचनो
णश्च सद्भक्तिवाचकः ।
अश्चापि दातृवचनः
कृष्णं तेन विदुर्बुधाः ॥
कृषिश्च
परमानन्दे णश्च तद्दास्यकर्मणि ।
तयोर्दाता च यो
देवः तेन कृष्णः प्रकीर्तितः ॥
कोटिजन्मार्जिते
पापे कृषिः क्लेशे च वर्तते ।
भक्तानां णश्च
निर्वाणे तेन कृष्णः प्रकीर्तितः ॥
नाम्नां सहस्रं
दिव्यानां त्रिरावृत्त्य च यत्फलम् ।
एकावृत्त्या तु
कृष्णस्य तत्फलं लभते नरः।
कृष्णनाम्नः परं
नाम न भूतं न भविष्यति ।
सर्वेभ्यश्च परं
नाम कृष्णेति वैदिका विदुः ॥
कृष्णेति मङ्गलं
नाम यस्य वाचि प्रवर्तते ।
भस्मीभवति
सद्यस्तु महापातककोटयः ॥
(ब्रह्मवैवर्तपुराणम् अध्यायः-११०, श्लोकसंख्या ३२ से ३७)
जैसा राम नाम नाम का महत्त्व बताया गया है वैसे ही कृष्ण नाम का महत्त्व अभी
बताया जा रहा है -
कृष्ण शब्द में तीन शब्द विद्यमान है जैसे कृष्+ण्+अ । इन में कृष् का अर्थ है
उत्कृष्ट, ण् का अर्थ है उत्तम
भक्ति और अ का अर्थ है देनेवाला । अर्थात उत्कृष्ट भक्ति को जो देता है वह ही कृष्ण
है ॥
अब कृष्ण में दो शब्द मानकर अर्थ बताया जा रहा है जैसे कृष्+ण । इन में कृष्
का अर्थ है परम आनन्द, ण का अर्थ दास्य कर्म
(सेवा) । तथा कृष्ण का अर्थ होगा परम आनन्द और सेवा का अवसर इन दोनों को देनेवाला
ही कृष्ण है ॥
अब कृष्ण शब्द की दूसरी व्युत्पत्ति बताते हैं । कृष् का अर्थ है कोटि जन्म से
अर्जित पापों का क्लेश, और ण का अर्थ है उन सब
पापों को दूर करनेवाला । तथा च कोटि जन्मों से किया हुआ पापों को दूर करनेवाला ही
कृष्ण है ॥
अभी कृष्ण नाम के उच्चारण का फल बताया जा रहा है । विष्णु के हजार नामों को
तीन बार दोहराने से जो फल मिलता है वह फल कृष्ण नाम का एक बार उच्चारण करने से ही
मिल जाता है ॥
कृष्ण नाम से कोई बडा नाम न पहले था न होगा । वैदिक विद्वान कहते हैं कि सभी
नामों से बडा है कृष्ण का नाम ॥
जिस के मुह से कृष्ण नाम का उच्चारण किया जाता है उस के सारे पाप भस्म हो जाते
हैं ॥
Now, the importance of Krishna Nama is explained.
There are three words in the word “Krishna”. कृष्+ण्+अ. कृष् means exceptional, ण्
means devotion and अ means the Giver.
Thus “Krishna” means the giver of exceptional devotion.
Now the word “Krishna” is explained by splitting
it into two words कृष्+ण. कृष् means “ultimate bliss” and ण means
“service”. Thus, “Krishna” means that one who gives ultimate bliss and
opportunity for service.
Another meaning of “Krishna” is that one who removes
all sins accumulated by crores of births.
Whatever Punya you get by chanting thousand names
of Vishnu thrice you get that much Punya by chanting the name of Krishna.
Neither there was such auspicious name in the past
nor will be in future. Scholars say that there is no such great name than
Krishna.
Who chants the name of kirshna, all his sins are
burnt to ashes.
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3 comments:
अतिऽधन्योऽस्मि, सादरं प्रणामामि भवन्तम्।
हरिःशरणम्।
कहीं पढा है कि राम शब्द का अर्थ "आनंद" भी है -
और कृष्ण शब्द का एक अर्थ "आकर्षित करने वाला" भी है
कृपया स्पष्ट करें अति कृपा होगी
यशपाल शर्मा
गुडगाँव
9810240555
राम शब्द का अर्थ "आन्नदहै"
कृष्ण शब्द का अर्थ"परम आन्नद है"
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