SRI RAMA BELONGED TO WHICH VEDA SHAKHA
यजुर्वेदविनीतश्च वेदविद्भिः सुपूजितः ।
धनुर्वेदे च वेदे च वेदाङ्गेषु च निष्ठितः ॥ (सुन्दरकाण्डः
३५-१४) यजुर्वेदविनीतः=यजुर्वेदे
निरतः, वेदविद्भिः च=वैदिकैः अपि,
सुपूजितः=अर्चितः(सम्मानितः), धनुर्वेदे च=शरविद्यायाम् अपि, वेदे च=इतरवेदेषु च, वेदाङ्गेषु च=वेदानाम् अङ्गेषु उपाङ्गेषु अपि, निष्ठितः=परिनिष्ठितः (निपुणः) श्रीरामः इति
अन्वयः ॥ विशेषः -
१)
यजुर्वेदविनीतः = प्रायः सभी व्याख्याताओं ने विनीतः इति शब्द का निरत ही अर्थ
किया हैं । कोशों में भी निरत, निभृत, एकाग्र, शास्त्र संस्कार ही दिया गया । पहले स्वशाखा का अध्ययन करना
विहित है, इस लिए वाल्मीकि ने
यजुर्वेद का ग्रहण पहले किया । बाद में वेदे च भी कहा है, इस से यह पता चलता है राम सभी वेदों के अध्येता थे अर्थात्
त्रिवेदी या चतुर्वेदी रहे होंगें । २) निष्ठितः -
निष्ठायुक्ते । नितरां स्थितः निष्ठितः । श्रीरामः विद्यासु निपुणः इत्यर्थः । हिन्दी - श्रीराम यजुर्वेद में निष्णात थे और विद्वानों के द्वारा सम्मानित । धनुर्
विद्या, अन्य वेदों और वेद के सभी
अङ्गों में भी निपुण थे । नियम के अनुसार, पहले स्वशाखा का अध्ययन करके बाद में अन्य शाखाओं का अध्ययन करना है । इअस लिए
वाल्मीकि पहले यजुर्वेद का उल्लेख करते है, बाद में वेदों का । इस से
यह पता चलता है श्रीराम की स्वशाखा यजुर्वेद है । यजुर्वेद मेम्कन सी शाखा है इस
का उत्तर श्रीरामपट्टाभिषेकप्रकरण में मिलता है - शुक्लयजुर्वेद है । तात्पर्यम् -
श्रीरामः यजुर्वेदे निष्णातः विद्वद्भी सम्मानितः, धनुर्विद्यायां, इतरवेदेषु, वेदाङ्गेषु च
निपुण थे । Sri Ram was well versed in Yajurveda, admired by the
scholars, he was an expert I archery, other Vedas and auxiliary Shastras of
Vedas. As per rule, one has to study first his branch of Veda, then other
branches. That is why Valmiki separately mentions first Yajurveda and then
Vedas. So, Sri Rama belonged to Yajurveda Branch. Which branch of Yajurveda is
answered at time of Rama Pattabhishekam (Crowning Ceremony).
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